ये कविता सच्चे किस्सों पर आधारित है और मेरे भाई श्री नमन को समर्पित है
भाई ओ भाई ओ मम प्रिय भाई ,
तुझसे मैंने विद्या कमाई ,
तुने ही मुझे zig zag underline करना सिखाया ,
जिसकी वजह से हिंदी की teacher से था मैंने लाफा खाया ,
तुने ही मुझे cricket सिखाया ,
खुद ball बना और मुझे bat पकडाया ,
तुने ही सिखाये वो पीठ के मुक्के ,
वो लातें सुहानी वो लाफे अनोखे ,
तुने ही मुझे सिखाया blackmails से डरना ,
वो घर से निकलना और कुछ दूर चलना ,(cryptic matter)
तुने मुझे अप्भ्रम्षा सिखाये ,
वो Odi Aadi Odi Aadi wo sigdikk साए साए ,
तुने मुझे कंजूसी सिखाई ,
पर जासूसी मुझे अपने आप थी आई ,
दुआ है मेरी खूब आगे जाये तू ,
मुझे फोकट में लिफ्ट दे और
मुफ्त में घुमाए तू ...
आपका प्रिय भाई परम(नाम तो सुना ही होगा )
No comments:
Post a Comment