The journey of life in the vehicle of body.Mind gives self but it runs only by "Kickkstart".

Saturday, November 14, 2009

मम प्रिय भाई


ये कविता सच्चे किस्सों पर आधारित है और मेरे भाई श्री नमन को समर्पित है




भाई ओ भाई ओ मम प्रिय भाई ,
तुझसे मैंने विद्या कमाई ,
तुने ही मुझे zig zag underline करना सिखाया ,
जिसकी वजह से हिंदी की teacher से था मैंने लाफा खाया ,
तुने ही मुझे cricket सिखाया ,
खुद ball बना और मुझे bat पकडाया ,
तुने ही सिखाये वो पीठ के मुक्के ,
वो लातें सुहानी वो  लाफे अनोखे ,
तुने ही मुझे सिखाया blackmails से डरना ,
वो घर से निकलना और कुछ दूर चलना ,(cryptic matter)
तुने मुझे अप्भ्रम्षा सिखाये ,
वो Odi Aadi Odi Aadi wo sigdikk साए साए ,
तुने मुझे कंजूसी सिखाई ,
पर जासूसी मुझे अपने आप थी आई ,
दुआ है मेरी खूब आगे जाये तू ,
मुझे फोकट में लिफ्ट दे और
मुफ्त में घुमाए तू ...
आपका प्रिय भाई परम(नाम तो सुना ही होगा )

No comments: